Thursday, 3 December 2015

कुमार विश्वास का सुहाग रात, प्रथम मिलन की रात पर लिखा गया एक मधुर प्रेम गीत। 

क्या अजब रात थी, क्या गज़ब रात थी 

दंश सहते रहे, मुस्कुराते रहे 

देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत 

हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे

मन मे अपराध की, एक शंका लिए 

कुछ क्रियाये हमें जब हवन सी लगीं

एक दूजे की साँसों मैं घुलती हुई 

बोलियाँ भी हमें, जब भजन सी लगीं 

कोई भी बात हमने न की रात-भर

प्यार की धुन कोई गुनगुनाते रहे 

देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत 

हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे

पूर्णिमा की अनघ चांदनी सा बदन 

मेरे आगोश मे यूं पिघलता रहा 

चूड़ियों से भरे हाथ लिपटे रहे 

सुर्ख होठों से झरना सा झरता रहा

इक नशा सा अजब छा गया था की हम 

खुद को खोते रहे तुमको पाते रहे 

देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत 

हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे

आहटों से बहुत दूर पीपल तले

वेग के व्याकरण पायलों ने गढ़े

साम-गीतों की आरोह - अवरोह में

मौन के चुम्बनी- सूक्त हमने पढ़े 

सौंपकर उन अंधेरों को सब प्रश्न हम 

इक अनोखी दीवाली मनाते रहे 

देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत 

हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे||

Main tumhe dhundhne swarg ke dwar tak...

Main tumhe dhundhne swarg ke dwar tak,
roj jaata raha, roj aata raha.
Tum gazal ban gayi ban gayi,
geet me dhal gayi,
Manch se main tumhe gungunata raha.

Zindagi ke sabhi raste ek the,
sabki manzil tumhare chayan tak rahi.
aprakashit rahe peer ke upnishad,
man ki gopan kathayein nayan tak rahi,
Praan ke pristh par preet ki vartani
tum mitati rahi, mai banata raha

Main tumhe dhundhne swarg ke dwar tak,
roj jaata raha, roj aata raha.
Tum gazal ban gayi ban gayi, geet me dhal gayi,
Manch se mai tumhe gungunata raha.

Ek khamosh halchal bani zindagi,
gehra thehra hua jal bani zindagi,
tum bina jaise mehlon me beeta hua
urmila ka koi pal bani zindagi.
drishti akaash me aas ka ek diya
tum bujhaati rahi mai jalaata raha.

Main tumhe dhundhne swarg ke dwar tak..

Tum chalito gayi, mann akela hua,
saari sughiyon ka pur jor Mela raha,
jab bhi laati nayi, khushbu o main saji,
mann bhi bela hua, tan bhi bela hua..
Vyarth ki baat par, khud ki aaghat par,
Ruthati tum rahi main manaata raha

Main tumhe dhundhne swarg ke dwar tak,
roj jaata raha, roj aata raha.
Tum gazal ban gayi ban gayi,
geet me dhal gayi,
Manch se main tumhe gungunata raha.

Main tumhe dhundhne swarg ke dwar tak..!!

मांग की सिंदूर रेखा ,  तुमसे ये पूछेगी कल

मांग की सिंदूर रेखा , 

तुमसे ये पूछेगी कल,

यूँ मुझे सर पर सजाने

 का तुम्हे अधिकार क्या है ,

तुम कहोगी वो समर्पण 

बचपना था तो कहेगी, 

गर वो सब कुछ बचपना था,

तो कहो फिर प्यार क्या है …..

मांग की सिंदूर रेखा 

कल कोई अल्हड अयाना 

बांवरा झोका पवन का,

जब तुम्हारे इंगितो पर 

गंध भर देगा चमन में ,

या कोई चंदा धरा का

रूप का मारा बेचारा,

कल्पना के तार से 

नक्षत्र जड़ देगा गगन पर..

तब यही बिछुए महावर 

चूड़ियाँ गजरे कहेंगे,

इस अमर सौभाग्य के

श्रृंगार का आधार क्या है ..

मांग की सिन्दूर रेखा … 

कल कोई दिनकर विजय का ,

सेहरा सर पर सजाये ,

जब तुम्हारी शप्तबरणी ,

छावं में सोने चलेगा ,

या कोई हरा थका

व्याकुल सिपाही जब तुम्हारे ,

बक्ष पर धर सीश लेकर

हिचकियाँ रोने चलेगा ,

तब किसी तन पर कसी दो 

बांह जुड़ कर पूछ लेगी,

इस प्रणय जीवन समर में 

जीत क्या है हार क्या है …

मांग की सिन्दूर रेखा

-- Dr. Kumar Vishwas

Wednesday, 2 December 2015

खुद से भी मिल न सके इतने पास मत होना

mehfil-mehfil muskana to padta hai

mehfil-mehfil muskana to padta hai,
khud hi khud ko samjhana to padta hai
unki aankho se hokar dil jana.
raste me ye maikhana to padta hai..

सब अपने दिल के राजा है

सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है।
भले प्रकाशित हो ना हो, पर सबकी कोई कहानी है।।
बहुत सरल है कहना, किसने कितना दर्द सहा।
जिसकी जितनी आँख हँसी है, उतनी पीर पुरानी है।।

Dr.Kumar Vishwas Poems

Aankhein ki chhat pe tahalte rahe kaale saaye,
Koi pahlo me ujale bharne nahi aaya…!
Kitni diwali gayi, kitne dashahare beete,
Inn munderon par koi deep na dharne aaya…!!

~0~

Gaon gaon gaata phirta hoon, khud me magar bin gaaya hoon,

Tumne baandh liya hota to khud me simat gaya hota main,
Tumne chhod diya hai to kitni door nikal aaya hoon main…!!

Kat na paayi kisi se chaal meri, Log dene lage mishaal meri…!
Mere jumloon se kaam lete hain wo, Band hai jinse bolchaal meri…!!

 ~0~

Maikade band kare laakh zamane wale
seher me kam nahi aankho se pilane wale.
~0~
meri aankho me mohabbat ki chamak aaj bhi hai
halaki usko mere pyar pe shaq aaj bhi hai
naav me baith ke dhoye the usne haath kabhi
poore talab me mehandi ki mehak aaj bhi hai.
~0~

saja ye hai ki neende cheen li dono ki aankho se

khata ye hai ki ham dono ne milkar khwaab dekha tha.

Hamare Sher Sun Kar Bhi

Hamare Sher Sun Kar Bhi Jo Khamosh Itna Hai,

Khuda Jaane Guroor-e-Husn Mein Madhosh Kitna Hai…

Kisi Pyale Se Poocha Hai Suraahi Main Sabab Mein Ka,

Jo Khud Behosh Ho Wo Kya Bataye Ke Hosh Kitna Hai…..

Na Paane Ki Khushi Hai

Na Paane Ki Khushi Hai Kuch Na Khone Ka Hi Kuch Gam Hai….

Ye Daulat Aur Shohrat Sirf Kuch Zakhmo Ka Marham Hai…

Ajab Si Kashmakash Hai Roz Jeene, Roz Marne Me….

Mukkammal Zindagi To Hai Magar Poori Se Kuch Kam Hai….

Dr.kumar vishwas Poems

Falak Pe Bhor Ke Dulhan Yu Saj Ke Aayi Hai,

Ye Din Ugha Hai Ya Suraj Ke Ghar Sagayi Hai,

Abhi Bhi Aate Hai Aansu Meri Kahani Mein,

Kalam Mein Shukar-E-Ada Ki Roshanayi Hai.


Hame Malum Hai Do Dil Judai Seh Nahi Sakte,

Magar Rasme Wafa Ye Hai Ki Ye Bhi Keh Nahi Sakte,

Jara Kuch Dair Tum Unn Sahilo Ki Chik Sun Bhar Lo,

Jo Lehro Mein To Dube Hai Magar Sang Beh Nahi Sakte.

तुम्हारा फ़ोन आया है

अजब सी ऊब शामिल हो गयी है रोज़ जीने में
पलों को दिन में, दिन को काट कर जीना महीने में
महज मायूसियाँ जगती हैं अब कैसी भी आहट पर
हज़ारों उलझनों के घोंसले लटके हैं चैखट पर
अचानक सब की सब ये चुप्पियाँ इक साथ पिघली हैं
उम्मीदें सब सिमट कर हाथ बन जाने को मचली हैं
मेरे कमरे के सन्नाटे ने अंगड़ाई सी तोड़ी है
मेरी ख़ामोशियों ने एक नग़मा गुनगुनाया है
तुम्हारा फ़ोन आया है, तुम्हारा फ़ोन आया है

सती का चैतरा दिख जाए जैसे रूप-बाड़ी में
कि जैसे छठ के मौके पर जगह मिल जाए गाड़ी में
मेरी आवाज़ से जागे तुम्हारे बाम-ओ-दर जैसे
ये नामुमकिन सी हसरत है, ख़्याली है, मगर जैसे
बड़ी नाकामियों के बाद हिम्मत की लहर जैसे
बड़ी बेचैनियों के बाद राहत का पहर जैसे
बड़ी ग़ुमनामियों के बाद शोहरत की मेहर जैसे
सुबह और शाम को साधे हुए इक दोपहर जैसे
बड़े उन्वान को बाँधे हुए छोटी बहर जैसे
नई दुल्हन के शरमाते हुए शाम-ओ-सहर जैसे
हथेली पर रची मेहँदी अचानक मुस्कुराई है
मेरी आँखों में आँसू का सितारा जगमगाया है
तुम्हारा फ़ोन आया है, तुम्हारा फ़ोन आया है

तेरी याद आती है

हर एक खोने हर एक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है

हर एक खाली पड़े आलिन्द तेरी याद आती है
सुबह के ख्वाब के मानिंद तेरी याद आती है
हेलो, हे, हाय! सुन के तो नहीं आती मगर हमसे
कोई कहता है जब “जय हिंद” तेरी याद आती है

कोई देखे जनम पत्री तो तेरी याद आती है
कोई व्रत रख ले सावित्री तो तेरी याद आती है
अचानक मुश्किलों में हाथ जोड़े आँख मूंदे जब
कोई गाता हो गायत्री तो तेरी याद आती है

सुझाये माँ जो मुहूर्त तो तेरी याद आती है
हँसे जब बुद्ध की मूरत तो तेरी याद आती है
कहीं डॉलर के पीछे छिप गए भारत के नोटों पर
दिखे गाँधी की जो सूरत तो तेरी याद आती है

अगर मौसम हो मनभावन तो तेरी याद आती है
झरे मेघों से गर सावन तो तेरी याद आती है
कहीं रहमान की जय हो को सुन कर गर्व के आंसू
करें आँखों को जब पावन तो तेरी याद आती है

मेरा अपना तजुर्बा है

मेरा अपना तजुर्बा है तुम्‍हें बतला रहा हूं मैं
कोई लब छू गया था तब कि अबतक गा रहा हूं मैं
फिराक ए यार में कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हूं मैं

कोई कब तक महज़ सोचे कोई कब तक महज़ गाये
इलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाये
मेरा महताब उसकी रात के आग़ोश में पिघले
मैं उसकी नींद में जागूं वो मुझमे घुल के सो जाये

मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा
मेरी धड़कन में जो तू हो तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेगी, तो फिर घनश्याम आएगा

गिरेबा चाक करना क्या है, सीना और मुश्किल है
हर इक पल मुस्कुराकर, अश्क पीना और मुश्किल है
किसी की बेवफाई ने हमें इतना सिखाया हैं
किसी के इश्क में मरने से पीना और मुश्किल है

किसी पत्थर में मूरत है

किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है
ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है
तुम्हें मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है

पुकारे आँख में चढ़कर तो खू को खू समझता है
अँधेरा किसको को कहते हैं ये बस जुगनू समझता है
हमें तो चाँद तारों में भी तेरा रूप दिखता है
मोहब्बत में नुमाइश को अदाएं तू समझता है

पनाहों में जो आया हो तो उस पर अधिकार क्या मेरा
जो दिल हार हो उस पे फिर अधिकार क्या मेरा
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कसमकस में हैं
जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना

बदलने को इन आंखों के मंज़र कम नहीं बदले
तुम्हारी याद के मौसम हमरे गम नही बदले
तुम अगले जन्म में हमसे मिलोगी, तब ये जानोगी
जमाने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले

बस्ती बस्ती घोर उदासी

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन

जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है

जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है
जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है
कतरा कतरा सागर तक तो,जाती है हर उमर मगर
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है

इस उड़ान पर अब शर्मिंदा, मैं भी हूँ और तू भी है
आसमान से गिरा परिंदा, मैं भी हूँ और तू भी है
छूट गयी रास्ते में जीने – मरने की सारी कसमें
अपने अपने हाल में जिंदा, मैं भी हूँ और तू भी है

कोई दीवाना कहता है

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता

भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा